दीक्षा, हिमांशु और मयंक की गहरी थी दोस्ती

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साथ की मेडिकल की पढ़ाई, एक संग नौकरी भी पाई
फोरेंसिक की जांच में डॉ. दीक्षा की मौत की बात आई सामने

कानपुर। कानपुर में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई एक साथ करने वाली डॉ. दीक्षा तिवारी, डॉ. हिमांशु गर्ग और डॉ. मयंक सिंह ने नौकरी भी एक साथ पाई थी। डॉ. दीक्षा और डॉ. मयंक को मेरठ मेडिकल कॉलेज में 25 जून को जॉइन करना था।डॉ. हिमांशु की भी नौकरी कानपुर मेडिकल कॉलेज में लग गई थी। अचानक हुई गहरी दोस्त की मौत से दोनों दोस्त सदमे में हैं। पुलिस ने मेडिकल कॉलेज पहुंचकर जांच शुरू की। सीसीटीवी फुटेज देखे गए, एडिशनल सीपी हरीश चंदर ने बताया कि दो साथी डॉक्टर हिरासत में हैं। उनसे पूछताछ की जा रही है। परिवार से बात करने के बाद सामने आया कि दोनों साथी डॉक्टर परिवार के भी संपर्क में थे। घर तक आना-जाना था। घटनास्थल की जांच की गई है। फोरेंसिक टीम ने बॉडी पर लगी चोट और स्पॉट की जांच की है। फोरेंसिक की जांच में भी हादसे में डॉ. दीक्षा की मौत की बात सामने आई है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के परीक्षा भवन की पांचवीं मंजिल से गिरकर पूर्व छात्रा डॉ. दीक्षा तिवारी की मौत के मामले में उप प्राचार्य डॉ. रिचा गिरि ने पत्रकार वार्ता की। उन्होंने बताया कि डॉ. दीक्षा तिवारी पैरा एम-2 वर्ष 2018 बैच की छात्रा थी। एमबीबीएस के बाद छात्रावास छोड़ दिया था। उसके साथ ही उसके बैचमेट डॉ. मयंक और हिमांशु भी कॉलेज छोड़ चुके हैं। उनका कॉलेज से कोई लेना-देना नहीं है। वे अनाधिकृत रूप से बुधवार रात डेढ़ बजे कैंपस में घुसे। घटना कैसे घटी पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। जांच में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पूरा सहयोग कर रहा है। गुरुवार को प्रिंसिपल कमेटी रूम में उप प्राचार्य डॉ. रिचा गिरि, मीडिया प्रभारी डॉ. सीमा द्विवेदी और डॉ. सौरभ अग्रवाल मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए। उन्होंने बताया कि दीक्षा तिवारी ने एमबीबीएस कोर्स वर्ष 2003 में पूरा कर लिया था। इसके बाद उसकी इंटर्नशिप इसी साल ढाई महीने पहले पूरी हो गई। डॉ. दीक्षा, डॉ. मयंक और डॉ. हिंमाशु रात डेढ़ बजे कैंपस में क्यों आए? इसकी जांच पुलिस कर रही है। किसी गार्ड ने उन्हें रोका कि नहीं? आदि बिंदुओं पर कॉलेज प्रबंधन आंतरिक जांच कराएगा। इसके लिए कमेटी गठित कर दी गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। एमबीबीएस पूरा होने के बाद डॉ. दीक्षा तिवारी और उनके बैच के साथियों ने बाहर किराये का मकान लेकर इंटर्नशिप पूरी की। कॉलेज के शिक्षकों का कहना है कि एमबीबीएस के दौरान कॉलेज में न तो उसका किसी से झगड़ा हुआ और न ही कभी किसी ने उसकी शिकायत की। वह आम छात्राओं जैसी ही रही है। वह पढ़ने में अच्छी थी। पिता प्रदीप तिवारी ने बताया कि बुधवार रात करीब तीन बजे स्वरूपनगर पुलिस ने उन्हें बेटी की मौत की सूचना दी। सूचना मिलते ही वे लोग बरेली से निकल पड़े और गुरुवार सुबह यहां आ गए। बेटी के शव को देख परिजन अपने आंसू नहीं रोक सके। रिश्तेदारों ने बताया कि डॉ. दीक्षा के बाबा मेजर रघुवीर तिवारी की हाल में मौत हुई है। वहीं दादी सावित्री दिल की मरीज हैं। दीक्षा की मौत की जानकारी उन्हें नहीं दी गई है। परिवार के लोग मोहल्ले वालों के भरोसे सावित्री को छोड़कर शहर आए हैं। उनका कहना था कि दीक्षा को उसकी दादी बहुत पसंद करती थी। इसलिए उन्हें घटना की जानकारी नहीं दी गई। वहीं दिल्ली में शिक्षक चाचा सुदीप व तरुण भी दीक्षा की मौत की खबर सुनकर परिवार संग बरेली के लिए निकल लिए हैं।

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