आजमगढ़ : हिन्दी दिवस पर एसकेडी में हुए विविध कार्यक्रम

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हिंदी एक भाषा नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का एक अहम हिस्सा-विजय बहादुर सिंह, संस्थापक


आजमगढ़। जहानागंज क्षेत्र के धनहुंआ स्थित एसकेडी विद्या मन्दिर एवं एसकेडी इण्टर कॉलेज में शनिवार को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के विद्यार्थियों को हिंदी भाषा के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हिंदी दोहे, शायरी, कविता, भाषण और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता संपन्न करायी गयी। जिसमें छात्र/छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरूआत वाग्देवी मां सरस्वती की वंदना से हुई। इसके पश्चात राष्ट्रभाषा को समर्पित कार्यक्रमों की श्रृंखला काफी देर तक चली। छात्र/छात्राओं ने विभिन्न कविताओं से जहां लोगों के दिल में अगाध प्रेम भरा। वहीं पोस्टर बनाकर यह भी दशार्या कि मानव के सांस्कृतिक विकास में मातृभाषा कितनी महत्वपूर्ण है। वाद विवाद प्रतियोगिता में हिन्दी के पक्ष और विपक्ष में काफी बहस हुई। अन्य भाषाओं के समक्ष वेैश्विक परिवेश में हिन्दी की स्थिति, हिन्दी लिपि की नियमबद्धता आदि विषयों पर प्रतिभागियों ने खूब बहस किया। एसकेडी विद्या मन्दिर में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में नितिन, दिव्यांशी, सुमन, रिया, रागिनी, प्रांजल, मिथिलेश, आंचल आदि की प्रस्तुति काफी सराहनीय रही। वहीं एसकेडी इण्टर कॉलेज में आदिती, अंशिका रोली, अंकिता, विजय आदि ने भी वाद विवाद प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन किया।
अपने वक्तव्य में विद्यालय के संस्थापक विजय बहादुर सिंह ने कहा कि हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाना हिंदी भाषा के प्रति सम्मान और प्रेम को दर्शाता है। यह दिन हम सभी भारतीय को याद दिलाता है कि हिंदी एक भाषा नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है। विद्यालय के प्रधानाचार्य कुंवर आलोक सिंह ने संदेश दिया कि हिंदी दुनिया की एकमात्र ऐसी भाषा है जो अ अनपढ़ से शुरू होकर ज्ञ ज्ञानी पर समाप्त होती है। मातृभाषा हमारी एक अलग पहचान बनाती है। हिंदी भाषा का प्रयोग हमें न केवल घर और कार्यालय में ही करना चाहिए बल्कि समाज के सभी क्षेत्रों में भी करना चाहिए। एसकेडी इण्टर कॉलेज में अपने वक्तव्य को रखते हुए व्यवस्थापक श्रीकांत सिंह ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जितनी सरलता से ज्ञानार्जन अपनी मातृभाषा में कर लेता है उतनी अन्य भाषा में नहीं। इसलिए मातृभाषा के महत्व को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। वरिष्ठ अध्यापक संतोष सिंह ने हिन्दी भाषा के विभिन्न पहलुओं पर विधिवत प्रकाश डाला। कार्यक्रम को सफल बनाने में इन्द्रसहाय, ममता, प्रियंका, पूजा, गायत्री आदि की भूमिका काफी अहम रही।

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Today | 9, April 2025