उपचुनाव: भाजपा नौ सीटों पर उतारेगी अपने प्रत्याशी

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एक सीट इस नए सहयोगी के लिए जाएगी छोड़ी, ये है रणनीति
लखनऊ। यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव के लिए भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने 9 सीटों पर खुद चुनाव लड़ने का फैसला किया है । साथ ही इन सीटों के लिए नौ प्रत्याशियों के नाम को भी फाइनल कर दिया है। यह भी तय किया गया है कि उप चुनाव नए चेहरों को ही अधिक मौका दिया जाएगा। हालांकि इन प्रत्याशियों के नाम की घोषणा उप चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद की जाएगी। दिल्ली में रविवार को बैठक हुई, जिसमें मीरापुर सीट को रालोद को देने पर सहमति बनी है। यह 2022 में भी रालोद यहां से जीती थी। जबकि नौ सीटों पर भाजपा अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाएगा।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर करीब एक घंटे तक चली बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल की मौजूद रहे। बैठक में तय किया गया है कि सभी सीटों की जातीय समीकरण को देखते हुए ही नए चेहरों को उतारा जाएगा। यह भी तय किया गया है उप चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद ही उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी। संभावना है कि 20 अक्तूबर तक या इससे पहले ही उप चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है। इसलिए अपनी तैयारियों को और तेज किया जाए।
सूत्रों का कहना है कि बैठक में प्रदेश भाजपा की ओर से भेजे गए प्रत्याशियों के पैनल पर भी चर्चा हुई । इनमें से कुछ सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम तय किए जाने की भी बात कही जा रही है। जबकि कटेहरी, मझंवा, फुलपुर और मिल्कीपुर सीट के लिए प्रस्तावित नामों पर अभी फैसला नहीं हो पाया है। अलबत्ता इन सीटों पर पैनल में शामिल पिछड़े नेताओं को ही चुनाव लड़ाने पर गंभीरता से विचार किया गया है। बैठक में एक-एक सीट पर जातीय समीकरण और मौजूदा मुद्दों पर भी चर्चा हुई । प्रदेश के नेताओं ने केन्द्रीय नेतृत्व को अब तक की तैयारियों की जानकारी दी और बताया किए पहले चरण के प्रचार, संपर्क और संवाद का कार्यक्रम पूरा हो चुका है। साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा सभी सीटों पर किए गए कार्यक्रमों, विकास कार्यों के लोकार्पण और शिलान्यास के साथ ही अब तक की गई जनसभाओं की भी जानकारी दी गई। वहीं, केन्द्रीय नेतृत्व को 8-9 सीटें जीतने का भरोसा भी दिया गया है। बैठक में सपा और बसपा द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों के लिहाज से रणनीति तैयार करने पर भी चर्चा हुई। खास कर उन सीटों पर चुनाव जीतने को लेकर अधिक प्रभावी तरीके से काम करने पर सहमति बनी है, जो सीटें सपा का कब्जा है। बैठक में कटेहरी, मिल्कीपुर और मझवां सीट को लेकर सबसे अधिक माथापच्ची हुई। सूत्रों का कहना है कि सुरक्षित सीट होने की वजह से मिल्कीपुर से कोई दलित चेहरा तो उतरेगा ही। साथ ही कटेहरी और मझंवा सीट पर भी पिछड़े चेहरे को ही उतारा जाएगा। दरअसल मिल्कीपुर और कटेहरी सीट जीतना भाजपा के लिए सबसे अधिक प्रतिष्ठा का सवाल है और मुख्यमंत्री खुद इन दोनों सीटों की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले रखी है। इसलिए भाजपा इन दोनों सीटों पर कोई खतरा मोल नहीं नहीं लेना चाहती है।

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