आजमगढ़ : एसकेडी में संपन्न हुई मानसिक स्वास्थ्य पर संगोष्ठी

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छात्र/छात्राओं ने विषय विशेषज्ञ से अपने विभिन्न समस्याओं का समाधान की ली जानकारी
विद्यार्थी पढ़ाई लिखाई के साथ साथ शारीरिक स्वास्थ्य पर भी दें ध्यान-विजय बहादुर सिंह, संस्थापक
आजमगढ़। जहानागंज क्षेत्र के धनहुंआ स्थित एसकेडी विद्या मन्दिर में गुरूवार को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें छात्र/ छात्राओं ने मानसिक स्वास्थ्य से संबन्धित अनेक जानकारियों को हासिल करते हुए विषय विशेषज्ञ से अपने विभिन्न समस्याओं का समाधान भी पाया। कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. दीपशिखा सिंह मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बच्चों में एकाकीपन, उदासी, नींद की कमी, डर, तनाव, अचानक व्यवहार में परिवर्तन , मोबाइल की लत, पढ़ने के बाद भूल जाने आदि समस्याओं पर विस्तृत चर्चा करते हुए इनके निदान के बारे में बताया। उन्होने कहा कि आजकल मोबाइल बच्चों में मानसिक परेशानी का एक विशेष कारण बन गया है। एक दूसरे से बीच संवाद स्थापित करने के लिए बनाया गया यह उपकरण लोगों में एकाकीपन ला रहा है। रील देखने में तल्लीन आज के बच्चों को समय का पता ही नहीं चल पा रहा है कि अनजाने में ही उन्होंने छोटी छोटी वीडियो देखने में कितना समय व्यतीत कर दिया। इससे एक ओर जहां उनकी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है वहीं वह समाज से भी कट कर जी रहा है। नींद पर चर्चा करते हुए डा. सिंह ने कहा कि एक वयस्क के लिए 5 से 8 घंटे की नींद बहुत ही जरूरी है। इससे दिमाग को नई उर्जा प्राप्त होती है। और व्यक्ति फिर से नये कार्य के प्रति तत्पर हो जाता है। उचित समय तक नींद न लेने पर व्यक्ति की स्मृति क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। छात्र/छात्राओं के विभिन्न प्रश्नों के समाधान में डा. सिंह ने पढ़ाई के प्रति अपने ध्यान को करने, एकाकीपन से बचने और मोबाइल की बुरी लत से दूरी बनाने के टिप्स दिये। अपने संबोधन में विद्यालय के संस्थापक विजय बहादुर सिंह ने कहा कि एक स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मन का वास होता है इसलिए विद्यार्थियों को चाहिए कि पढ़ाई लिखाई के साथ साथ शारीरिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। जितनी भी मानसिक बीमारियां होती हैं उसमें अधिकांश ऐसी होती हैं जो व्यक्ति खुद नहीं समझ पाता है। ऐसे में यदि आपके व्यवहार आदि के बारे में कोई चर्चा कर रहा है तो उसे नजरअदांज न करते हुए उस पर विश्लेषण करना चाहिए। विद्यालय के प्रधानाचार्य कुंवर आलोक सिंह ने भी अपने विचारों को रखा। कार्यक्रम को सफल बनाने में संतोष, नवनीत, योगेन्द्र, राजेश, कृष्णा, नेहा, वर्तिका, प्रियंका, रंजना आदि का अहम योगदान रहा।

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