न मिले एलजी के अवशेष और न ही गंध, बारूद की आशंका, मंजर देख कांप गया कलेजा
इसके अलावा 40 मीटर दूरी तक खून के धब्बे और लोथड़े बिखरे नजर आ रहे थे। सुरेंद्र का एक हाथ उड़कर लगभग 10 मीटर दूर गणेश पार्क में गिरा। विस्फोट की दहशत देर रात तक दिखी। यहां के निवासियों ने पटाखे तक नहीं फोड़े। दीपावली का त्योहार सादगी के साथ मनाया। यहां के निवासियों ने बताया कि गुरुवार सुबह सभी लोग त्योहार मनाने की तैयारी में लगे थे। कोई पूजन का सामान एकत्र कर रहा था तो कोई मिठाई, पटाखे खरीदने में व्यस्त था। अचानक तेज विस्फोट हुआ और रोशनी के त्योहार की खुशियां मातम में बदल गई। सुरेंद्र के बच्चों की चीत्कार सुनकर हर किसी का दिल दहल गया। मंजर इतना खौफनाक था कि मोहल्ले में रहने वाली महिलाएं और बच्चे दहशत में आ गए। राजेंद्र नाथ शुक्ला राजू ने बताया कि घर पर पूजा की तैयारी कर रहे थे तभी तेज विस्फोट हुआ। पता किया तो पूरे मामले की जानकारी हुई। आनन-फानन में कपड़े पहनकर मौके पर पहुंचे। वहां का मंजर देखकर सहम गए। बच्चों की चीख-पुकार और सड़क पर पड़े खून व मांस के लोथड़े देख कलेजा कांप गया। सुरेंद्र के बगल में ही किराए पर रहने वाली नूतन ने बताया कि चारों बेटे बाजार गए थे। अचानक धमाका हुआ और हमारे कमरे में रखा शीशा चटक गया। धुएं में कुछ दिख नहीं रहा था। धुआं छटा तो नीचे आकर देखा। सुरेंद्र का शव टुकड़ों में पड़ा था और रमिला बहन खून से लथपथ तड़प रही थी। तुरंत बेटों को फोनकर बुलाया रमिला को मोहल्ले वालों की मदद से अस्पताल ले जाया गया। हम उसके बच्चों को संभाले रहे। विस्फोट इतना तेज था कि सुरेंद्र का शव किरन के घर के दरवाजे के पास गिरा तो वहीं उनकी पत्नी रमिला इसके विपरीत दिशा में यानि सड़क के सामने पड़ी तड़प रही थी। धमाके से आसपास के मकान हिल गए। कुछ क्षणों तक इलाकाई लोगों को धुएं की वजह से कुछ देर तक कुछ भी न दिखाई दिया और न कुछ समझ में आ रहा था। गांधी नगर में हुए विस्फोट को भले ही पुलिस अधिकारी सिलिंडर का फटना बता रहे हो, लेकिन न तो घटनास्थ्ल पर उसके कोई अवशेष ही मिले न ही एलपीजी की कोई गंध ही लोगों को लगी। वहीं, घटनास्थल से 15 मीटर की दूरी पर बारूद की गंध लोगों को जरूर महसूस हुई। यहीं पर देशी पटाखे जैसे दइमार व फुलझड़ी आदि मिले हैं। पटाखों की अवशेषों को फोरेंसिक टीम ने जांच के लिए लिया है।