अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1967 का फैसला पलटने पर जताई खुशी
आज का दिन हम सभी के लिए बड़ा दिन है, आगे और भी इम्तेहान हैं-नफीस अहमद
आजमगढ़। जनपद के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ओल्ड बॉयज एसोसिएशन के अध्यक्ष हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ0 जावेद ने सुप्रीम कोर्ट के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर दिए गए फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह किसी की हार और जीत का मामला नहीं है। दरअसल तस्वीर को गलत ढंग से पेश किया जाता है। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से न ही कभी किसी हिन्दू भाई को और न ही किसी मुस्लिम को कोई शिकायत रही है। इस यूनिवर्सिटी को सिर्फ तालीम के लिए ही बनाया गया है। इस दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और जनपद के गोपालपुर विधानसभा से विधायक नफीस अहमद समेत यूनिवर्सिटी के नए-पुराने कई छात्र मौजूद रहे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए एक दुसरे को मिठाई खिलाई। गोपालपुर विधायक नफीस अहमद ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहाकि आज का दिन हम सभी के लिए बड़ा दिन है, आगे और भी इम्तेहान है।
बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर एएमयू इंतजामिया, छात्र, पूर्व छात्रों के साथ दुनिया की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ओर लगीं थीं। दोपहर में जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने 1967 के अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य के फैसले को पलटा और एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले को तीन सदस्यीय नियमित पीठ के लिए भेजा, वैसे ही एएमयू कैंपस में सभी एक दूसरे को बधाई देते नजर आए। एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साल 1967 में अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य मामले में दिए अपने ही फैसले को पलट दिया है, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय कानून के तहत बने संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने 4-3 के बहुमत से यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई संस्थान कानून के तहत बना है तो भी वह अल्पसंख्यक संस्थान होने का दावा कर सकता है। अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा या नहीं, इसका फैसला नियमित पीठ करेगी।