इन तीन सीटों पर अपनों ने ही किया विरोध
लोकसभा चुनाव में भी हुआ था नुकसान
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में हुए अंदरुनी कलह से मात खाई भाजपा को नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा है। मतदान के बाद अंदरुनी कलह को लेकर मिले इनपुट ने भाजपा के शीर्ष नेताओं की चिंता बढ़ा दी है। अब पार्टी स्तर पर इस बात का आकलन किया जा रहा है कि इससे कितना नुकसान हुआ है। भितरघातियों को चिह्नित भी किया गया है। कुंदरकी, कटेहरी और फूलपुर में अंदरुनी कलह की सबसे ज्यादा शिकायतें मिली हैं। हालांकि, भाजपा को बेहतर परिणाम की उम्मीद है। दरअसल, सभी सीटों पर टिकट को लेकर कई पूर्व सांसदों-विधायकों व पुराने कार्यकर्ताओं ने दावा किया था, लेकिन पार्टी ने टिकट देने में जल्दबाजी न करते हुए सीटवार जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर प्रत्याशियों की घोषणा की थी। लिहाजा कई सीटों पर टिकट से वंचित लोगों की ओर से भितरघात किए जाने की बात सामने आई है। मझवां, कटेहरी, कुंदरकी और सीसामऊ सीट पर तो प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही इसकी शिकायतें मिल रही थीं। इसे थामने के लिए पार्टी के नेताओं ने भरसक प्रयास भी किए, फिर भी कई सीटों पर अपनों की ही मुखालफत सामने आई है।
सूत्रों का कहना है कि सबसे अधिक शिकायतें कटेहरी और कुंदरकी सीट पर सामने आई हैं। मझवां में पार्टी के अलावा भाजपा के सहयोगी दल के कार्यकर्ताओं की ओर से भी खेल बिगाड़ने की कोशिश के इनपुट मिले हैं। हालांकि, सहयोगी दलों के बड़े नेता लगातार इन सीटों पर प्रचार कर एनडीए प्रत्याशियों को जिताने की अपील करते रहे। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं ने भितरघात किया। मनमाने तरीके से प्रत्याशियों के चयन पर लोकसभा चुनाव में भी भाजपा में अंदरुनी कलह से भाजपा को भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। सभी 80 सीटों का जीत का दावा करने वाली भाजपा मात्र 36 सीटें ही जीत पाई थी। चुनाव परिणाम को लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में आपसी कलह भी सामने आई थी। सरकार और संगठन के बीच हार को लेकर रार भी हुई थी। ऐसी ही स्थिति अब उपचुनाव में भी देखने को मिली है। इसलिए माना जा रहा है कि अपेक्षा के मुताबिक, परिणाम नहीं आया तो फिर भाजपा के भीतर आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिल सकते हैं।