ऐसे जिलाध्यक्षों को अब मौका नहीं देगी भाजपा

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युवाओं को तरजीह, नये चेहरों को अवसर देने पर विचार

लखनऊ। संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया से गुजर रही भारतीय जनता पार्टी इस बार पारदर्शिता प्रदर्शित करने को पूरी कवायद में जुटी है। पार्टी दो बार जिला या महानगर अध्यक्ष रह चुके लोगों को तीसरा मौका देने के मूड में नहीं है। मंडल अध्यक्षों के मामले में पार्टी पहले ही यह व्यवस्था कर चुकी है। यही प्रयोग जिलाध्यक्षों के चयन में भी अपनाया जाएगा। वहीं, पार्टी ने जिलाध्यक्ष पद पर युवाओं को तरजीह देने का भी मन बनाया है। तय किया गया है कि जिलाध्यक्ष की आयु सीमा 45 से 60 वर्ष के बीच हो। तीसरी बार जिला या महानगर अध्यक्ष बनने की आस पालने वाले भाजपा नेताओं को झटका लग सकता है। पार्टी उन्हें तीसरी पारी खेलने का अवसर नहीं देगी। उनके स्थान पर नये चेहरों को अवसर दिया जाएगा। फिलहाल मंडल अध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया चल रही है। यूं तो इसके लिए 15 दिसंबर तक की समय सीमा तय की गई है। पार्टी सूत्रों की माने तो 20 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों का फैसला हो जाएगा। जिलाध्यक्षों की चयन प्रक्रिया भी 15 दिसंबर के बाद शुरू हो जाएगा। बूथ समिति और मंडल अध्यक्षों की तर्ज पर जिलाध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया से पहले प्रदेश स्तरीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी।
इस कार्यशाला में सभी 98 संगठनात्मक जिलों के लिए अध्यक्ष पद के चुनाव की पूरी प्रक्रिया तय कर ली जाएगी। जिलों में नामांकन होंगे। वहां से पैनल प्रदेश को भेजे जाएंगे। जिलाध्यक्षों की घोषणा तो प्रदेश स्तर पर होगी। हालांकि सूत्रों का कहना है कि अंतिम मुहर दिल्ली से लगेगी। उधर, जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों की लखनऊ दौड़ का सिलसिला तेज हो गया है। वे प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री संगठन के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। हालांकि उनको यही समझाया जा रहा है कि नीचे से पैनल में नाम शामिल होना चाहिए। अध्यक्ष पद के दावेदारों से ज्यादा सक्रियता उनके सरपरस्त जनप्रतिनिधियों की भी दिख रही है। दरअसल सांसद-विधायक व अन्य प्रभावशाली नेता अपने जिलों में संगठन में भी पूरा दखल चाहते हैं।

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