प्रदर्शन के दौरान कहा पूरी दुनिया में 45 करोड़ से ऊपर हिंदुओं की हत्या हुई
आजमगढ़। अगर इजराइल लाख यहूदियों के लिए अलग देश बनाया जा सकता है तो बांग्लादेश में एक करोड़ की 20 लाख की आबादी वाले हिंदुओं के लिए चटगांव वाले हिस्से को काटकर अलग देश क्यों नहीं बनाया जा सकता है। जब भारत में 23 प्रतिशत मुसलमान थे तो उन्हें देश की जमीन का 30 प्रतिशत हिस्सा देकर अलग देश दे दिया गया। आज वह भारत में हिंदू और हिंदुस्तान के रहमोकरम पर हैं। अगर उन्हें अलग देश चाहिए तो वह पाकिस्तान जाने के लिए स्वतंत्र हैं। उक्त बातें अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के महामंत्री और अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने बुधवार को कलेक्ट्रेट पर आयोजित प्रदर्शन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि एक अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र के तहत हिंदू जेनोसाइट लोग पूछते थे मंदिर कैसे टूटे और हिंदू मंदिरों के लिए जो आज दावा कर रहे है कि कब तोड़े थे, कैसे टूटे थे, तो जिन पीढ़ियों ने नहीं देखा उसे बांग्लादेश में जो हो रहा है और 90 के दशक में जो जम्मू काश्मीर में हुआ उससे उसके प्रश्नों का जवाब मिल जाएगा। आगे की पीढ़ी इस दंश को न झेले इसे लेकर आज देश के गांव-गांव में यह प्रदर्शन हो रहा है। हिंदू समाज को जगाने के लिए। पूरी दुनिया में सबसे अधिक हिंदुओं की हत्या हुई है और वह हत्या है 45 करोड़ से ऊपर। तो अब इस हत्या, बलात्कार और दंश को झेलने के लिए तैयार नहीं है।
हमारी मांग है कि सरकार को बांग्लादेश में हस्तक्षेप करते हुए कठौर कदम उठाने चाहिए। कठोर कदम का मतलब सैन्य कार्रवाई होती है। हम जानते हैं सरकार उदासीन नहीं है क्योंकि सरकार ने जिस तरीके से सरकार ने शेख हसीना का रेस्क्यू किया और उन्हें बचाया। अगर नहीं करती तो शेख हसीना की हत्या हो जाती। हमें सरकार से सवाल नहीं करना है बल्कि सरकार के साथ कदम ताल करके उसके फैसले पार पीछे खड़ा रहना है। सरकार को निर्णय लेने दीजिए वह सही समय पर निर्णय लेगी। हम चाहते हैं कि अगली पीढ़ी के समक्ष यह इतिहास न दोहराया जाए। संभल की घटना पर उन्होंने कहा कि यह मुसलमानों गुंडागर्दी है। पुलिस प्रशासन मरने के लिए नहीं है। न्यायालय के आदेश का पालन करने गए पुलिस कर्मियों पर रातोंरात पत्थर कैसे आए। आज जो राजनीतिक दल पांच-पांच लाख रुपये बांट रहे हैं। उनसे पूछा जाना चाहिए कि वह राजनीतिक दल चला रहा है या गुंडों का दल चला रहे हैं।
इस दौरान महंत राजेश मिश्रा, पीठाधीश्वर श्याम नारायण दास, सहजानंद राय, श्रीकृष्णपाल, सूरज श्रीवास्तव, रित्विक जयसवाल, अखिलेश मिश्रा गुड्डू, अरविंद जयसवाल, सत्येंद्र राय, बबिता जसरासरिया, गौरव अग्रवाल, अरुण पाल, नीलम सोनकर, हरिवंश मिश्रा, तारकेश्वर ओझा, विनोद उपाध्याय, संगीता आजाद, मंजू सरोज सहित बड़ी संख्या में हिन्दू उपस्थित रहे।