जिला जज की रिपोर्ट के विपरीत हलफनामा दाखिल करने का मामला
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेक अनादरण मामले में तीन साल बाद भी वारंट तामील नहीं करा पाने व भ्रामक हलफनामा दाखिल करने पर पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ को व्यक्तिगत हलफनामे संग 16 दिसंबर को तलब किया है। कोर्ट ने एसपी से जिला जज की रिपोर्ट के विपरीत हलफनामा दाखिल करने पर सफाई मांगी है। साथ ही जिला जज को संबंधित मजिस्ट्रेट से स्पष्टीकरण लेकर नई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की अदालत ने प्रकाश इलेक्ट्रिकल्स की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता अनूप बर्नवाल ने दलील दी कि एन.आई एक्ट के तहत नूरूल हसन के खिलाफ इस्तगासा दायर किया गया था। कोर्ट ने सम्मन जारी किया। हाजिर नहीं होने पर कई बार जमानती वारंट जारी किया, लेकिन नूरूल हसन पेश नहीं किया जा सका। तीन साल से अधिक समय बीता, 20 तारीखें लगीं। जबकि, केस नियमानुसार छह माह में तय हो जाना चाहिए। इससे पहले कोर्ट ने एसपी से व्यक्तिगत हलफनामा तलब कर वारंट तमील नहीं होने का कारण पूछा था। इस पर आजमगढ़ के एसपी ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि 26 जुलाई 24 को जारी वारंट संग कांस्टेबल को मुल्जिम के लखनऊ के पते पर भेजा गया था। लेकिन, उसका पता नहीं चल सका। कोर्ट ने इस हलफनामे को संतोषजनक नहीं माना। जिला जज से रिपोर्ट मांगी। जिला जज ने बताया कि पांच मार्च 24 को पुलिस पैरोकार को वारंट दिया गया था। एसएचओ ने तामील की कोई रिपोर्ट नहीं दी। एसएचओ से सफाई मांगी गई है। कोर्ट पाया कि जिला जज की रिपोर्ट के मुताबिक एसपी ने हाईकोर्ट को भ्रामक और गलत जानकारी दी है या उनके अधीनस्थ अधिकारी ने उन्हें गुमराह किया है।