आजमगढ़ : एसकेडी में धूमधाम से मना 76वां गणतंत्र दिवस

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विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या को साथ लेते हुए वर्ष 2047 तक भारत विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा होगा-विजय बहादुर सिंह, संस्थापक




आजमगढ़। जहानागंज क्षेत्र के धनहुंआ स्थित एसकेडी विद्या मन्दिर एवं एसकेडी इण्टर कालेज में रविवार को 76वां गणतंत्र दिवस काफी धूमधाम से मनाया गया। विद्यालय के छात्र/छात्राओं द्वारा देशभक्ति के रंग से सराबोर गायन, नृत्य, नाटक आदि की जो प्रस्तुति की गयी वह लोगों के दिलो दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़ गयी। एसकेडी विद्या मन्दिर पर कार्यक्रम की शुरूआत विद्यालय के संस्थापक विजय बहादुर सिंह द्वारा झंडारोहण एवं मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण प्रधानाचार्या प्रीती यादव द्वारा किया। इसके पश्चात राष्ट्रगान गान एवं झंडागान के पश्चात देशभक्ति की जो धारा चली वह काफी देर तक बहती रही। आयुशी मनस्वी एवं ग्रुप द्वारा हीर आसमानी, अंश, अर्पित सृजा द्वारा मेरे भारत की बेटी, दिव्यांशी जान्हवी, भूमिका द्वारा जहां पांव में पायल, शान्वी, प्रकृति की प्रस्तुति धरती सुनहरी को काफी पसन्द किया गया। एसकेडी इण्टर कालेज पर झंडारोहण श्रीकांत सिंह द्वारा किया गया। आयुशी व ग्रुप का गायन चांद तारों सा, कक्षा एक के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किया गया नाटक, स्नेहा ग्रुप द्वारा स्टोरी आफ सोल्जर को लोगों ने काफी सराहा। विजय, अजित, सूरज, अंशुमान गौरव की प्रस्तुति भी काफी सराहनीय रही।
अपने उद्बोधन में संस्थापक विजय बहादुर सिंह ने की अपने देश का इतिहास गौरवशाली है। ऋषि मुनियों ने जो ज्ञान दिया उन पर आज पश्चिम के विकसित देश भी शोध कर रहे हैं। एक लंबे कालखण्ड तक गुलाम रहने के के देश ज्ञान और विकास की की धारा कुछ कमजोर हुई लेकिन जबसे देश आजाद हुआ देश दिनों दिन प्रगति के पथ पर अग्रसित हो रहा है।
गुलामी काल में सारे नियम कानून अंग्रेजों द्वारा बनाये गये थे और उनके हित के प्रति केन्द्रित थे। इसलिए देश के लिए एक संविधान की आवश्यकता हुई जिसे संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया। तमाम बाधाओं को पार करते हुए आज देश काफी उन्नति कर रहा है। विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या को साथ लेते हुए वर्ष 2047 तक भारत विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा होगा।
इस अवसर पर एसकेडी इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य केके सरन ने भी अपने विचारों को रखा। कार्यक्रम को सफल बनाने में राजेश, आनन्द, सुनील, सूर्यप्रकाश, नवनीत, प्रमोद, अम्ब्या, आकांक्षा, सुष्मिता, अनीता, अपराजिता आदि की भूमिका सराहनीय रही।

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