महाकुंभ में फिर चर्चा में आई हर्षा रिछारिया

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पीठाधीश्वर ने कहा यह बिल्कुल भी उचित नहीं

प्रयागराज। महाकुंभ में पेशवाई के दौरान मॉडल को रथ पर बैठाने को लेकर विवाद छिड़ गया है। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा है कि यह बिल्कुल भी उचित नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश फैलता है। धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है। साधु-संतों को इससे बचना चाहिए, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े की पेशवाई निकली थी। उस समय 30 साल की हर्षा रिछारिया संतों के साथ रथ पर बैठी नजर आई थीं। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप ने उनके आचरण पर आपत्ति जताते हुए कहा कि कुंभ का आयोजन ज्ञान और आध्यात्मिकता फैलाने के लिए किया जाता है।
इसे मॉडलों द्वारा प्रचार कार्यक्रम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कुंभ के दौरान भगवा वस्त्र पहने रिछारिया की तस्वीरें विभिन्न मीडिया में प्रसारित हुई थीं, लेकिन बाद में हर्षा ने कथित तौर पर स्पष्ट किया था कि वह 'संन्यासिन' नहीं थीं।
हालांकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो न देते हुए कहा कि भगवा कपड़े पहनना कोई अपराध नहीं है और युवती ने निरंजनी अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से 'मंत्र दीक्षा' ली थी।
बुधवार को हिंदी में एक फेसबुक पोस्ट में स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि आज, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी जी के साथ निरंजनी अखाड़े में 'भोजन प्रसाद' के दौरान मैंने कहा कि कुंभ का आयोजन मॉडल दिखाने के लिए नहीं किया जाता है। कुंभ 'जप' (जाप), 'तप' (तप) और 'ज्ञान' (ज्ञान) के प्रवाह के लिए है। इसीलिए कृपया इस अनुचित कृत्य के खिलाफ कार्रवाई करें।
वहीं, महंत रवींद्र पुरी ने रिछारिया को हर्षिता बताया और कहा कि वह निरंजनी अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से 'दीक्षा' लेने आई थीं। वह एक मॉडल हैं और सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं। उसने रामनामी कपड़ा पहना हुआ था। हमारी परंपरा है कि जब भी सनातन का कोई कार्यक्रम होता है, तो हमारे युवा भगवा कपड़े पहनते हैं। यह कोई अपराध नहीं है।

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