कठिनाईयों के बीच शिक्षा जगत में महान योगदान के लिए किये जाते हैं याद
आजमगढ़। जनपद के सगड़ी विधानसभा क्षेत्र के विकास खण्ड हरैया के अजुवा गांव में 19 मई 1943 को जन्मे पुरूषोत्म मौर्य जो आगे चलकर एक महान शिक्षाविद के रूप में मुंशी जी के नाम से प्रसिद्ध हुए। बचपन में माता की मृत्यु के बाद कठिनाईयों में शिक्षा ग्रहण करते हुए अध्यापक पद पर चयनित होकर क्षेत्र में शिक्षा को बुलंदियों तक पहुंचाया। इनसे शिक्षा प्राप्त कर कई छात्र आज देश प्रदेश के उच्च पदों को सुशोभित कर रहे हैं। उत्तराखण्ड के शिक्षा महानिदेशक तथा अन्य कई पदों पर कार्यरत हैं। इनकी गुरूकूल शिक्षा पद्धति अविस्मरणीय है। इनके शिष्यों को मुन्शी जी द्वारा कही गयी एक-एक बात सजीव रूप में याद रहती है। जीवन के अन्तिम पड़ाव पर मुन्शी जी का लगाव शिक्षा और पुस्तकों पर रहा। इन्होंने पहले ही अपनी इच्छा व्यक्त की थी कि मरणोपरान्त मेरे एक हाथ में गीता तथा एक हाथ में चन्द्रगुप्त मौर्य की रचना युक्त एक किताब व कलम वाली मूर्ति की स्थापना की जाय ताकि इनसे प्रेरणा लेकर क्षेत्र के जन-जन में शिक्षा की ज्योति प्रज्जवलित होती रहे। प्रथम पुण्य तिथि पर दिनेश सिंह यादव (प्रबन्धक महादेवी इ०का०), हरिशंकर राय अध्यापक, सभापति यादव अध्यापक, प्रभाकर गौड़ लिपिक, कैलाश मौर्य, राजेश गौड़, परशुराम सिंह सहित तमाम लोग उपस्थित होकर श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके कार्यों को याद किया।