पुस्तक मेला में वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने को लेकर किया जागरूक
आजमगढ़। जब मेरे द्वारा राजस्थान के गांव में रतौंधी के मरीजों का इलाज कर उनकी आंखों की बीमारी को दूर किया गया, तब उस समय एक बुजुर्ग द्वारा मेरे इलाज किये जाने के बावत दुख व्यक्त किया गया, जब उस बुजुर्ग से मेरे द्वारा कारण पूछा गया तो जो सच्चाई मेरे सामने आई उसने मुझे डाक्टरी पेशे को छोड़ने को मजबूर कर दिया। उक्त बातें हरिऔध कलाभवन में लगे पुस्तक मेले के दौरान सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जल पुरूष के नाम से विश्व स्तर पर विख्यात राजेन्द्र सिंह ने कही।
जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण कैसे करें मुद्दे पर सभागार में उपस्थित लोगों के समक्ष अपनी जीवन यात्रा का वर्णन करते हुए बताया कि वे 21 वर्ष की उम्र में सरकार के कर्मचारी बन गये थे। राजस्थान के एक गांव में लोग रतौंधी की बीमारी से ग्रसित थे। मेरे द्वारा उक्त गांव के मरीजों का इलाज किया गया और वे लोग रतौंधी की बीमारी से मुक्त हुए। इस बीच उसी गांव के बुजुर्ग मांगू काका ने अपनी बीमारी के ठीक होने पर दुख जाहिर किया। जब मेरे द्वारा उनसे कारण पूछा गया तो उसने बताया कि जब मैं आंख की बीमारी से ग्रसित था तब मेरे घर में घड़े में गांव का कोई न कोई व्यक्ति पानी भर देता था, आज मैं ठीक हो गया हूं, अब मेरे सामने सबसे बड़ी समस्या पानी की हो गयी है जो इस क्षेत्र की सबसे बड़ी बीमारी है। जब मेरे द्वारा मांगू काका से पूछा गया कि मैं इसके लिए क्या कर सकता हूं। जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने बताया कि मांगू काका द्वारा मुझे उस क्षेत्र के करीब दो दर्जन कुंओं और नदियों से अवगत कराया गया। उनसे मिली सीख के बाद मेरे द्वारा करीब 23 सूखी नदियों का जीर्णोद्धार किया गया जिससे लोगों को पानी मिला और लोगों ने खेती सहित विभिन्न रोजगार शुरू किया।
वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस गंभीर विषय पर हम क्या भूमिका निभा रहे हैं यह विचारणीय है, अक्सर हम दूसरे पर गलती थोप कर अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं जो गलत है। प्रकृति के असंतुलित होने से असमय बाढ़ और बारिश तथा तेज गर्मी बड़े खतरे का संकेत दे रहा है। जब तक हर एक व्यक्ति इस मुहिम अपनी जिम्मेदारी नहीं निभायेगा तब तक यह संभव नहीं है। कार्यक्रम के दौरान प्रकृति को लेकर एक छात्र द्वारा पंक्तियां -यूं हीं नहीं शोर परिन्दों ने मचाया होगा, कोई शहर से जंगल की तरफ आया होगा, सुनाकर खूब वाह-वाही लूटी। बता दें कि हरिऔध कला भवन में छ: दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन किया गया, जिसका समापन 25 मार्च को होगा। पुस्तक मेले का आयोजन आयोजक राजीव रंजन राय द्वारा किया गया है।