पीड़ित ने एसडीएम को सौंपा शिकायती पत्र, कार्रवाई की किया मांग
आजमगढ़। लालगंज तहसील परिसर में एक महिला लेखपाल पर वरासत के नाम पर सात हजार रुपये लेने और पैसे वापस मांगने पर छेड़खानी के झूठे मामले में फंसाने की धमकी देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। घटना से तहसील परिसर में जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन इसे आपसी मामला बताकर वापस लौट गई। पीड़ित पक्ष ने उपजिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई है।
चेवार पश्चिम गांव निवासी त्रिलोकी पुत्र सिरहु की मृत्यु के बाद उनकी विवाहिता पुत्री सीता ने वरासत के लिए आवेदन किया था। आरोप है कि हल्का लेखपाल नेहा श्रीवास्तव ने वरासत को जानबूझकर विवादित दिखा दिया। जब सीता अपने चचेरे भाई पंकज कुमार के साथ लेखपाल से मिली, तो लेखपाल ने अधिकारियों को पैसे देने की बात कहकर सात हजार रुपये की मांग की। पंकज ने यह राशि दे दी, लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी वरासत दर्ज नहीं हुई।
नाराज पंकज ने पूर्व प्रधान और प्रधान प्रतिनिधि रामफेर से शिकायत की। शुक्रवार देर शाम तहसील परिसर में प्रधान प्रतिनिधि की लेखपाल से मुलाकात हुई। रामफेर ने लेखपाल से कहा, "अगर वरासत नहीं करनी तो पैसा वापस कर दें।" यह सुनते ही लेखपाल नेहा श्रीवास्तव भड़क गईं और चिल्लाने लगीं, "मैं अभी तुमको छेड़खानी के मामले में फंसा रही हूं।" इसके बाद उन्होंने महिला हेल्पलाइन 1090 पर कॉल कर दिया। लेखपाल की धमकी और शोर-शराबे से तहसील परिसर में अधिवक्ताओं और वादियों की भीड़ जमा हो गई। स्थिति को देखते हुए प्रधान प्रतिनिधि ने तुरंत 112 पर कॉल कर पुलिस को बुलाया। मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों की बात सुनी, लेकिन इसे आपसी विवाद बताकर कोई कार्रवाई किए बिना चली गई।
प्रधान प्रतिनिधि रामफेर ने घटना की लिखित शिकायत उपजिलाधिकारी श्याम प्रताप सिंह को सौंपी। उपजिलाधिकारी ने मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि लेखपालों द्वारा काश्तकारों के साथ इस तरह के विवाद आम हो गए हैं, लेकिन अधिकारियों का इन पर कोई नियंत्रण नहीं दिखता।