आजमगढ़। शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो समाज को एक नई दिशा देता है। विद्यालयों मे बच्चों को अच्छे आचरण अनैतिक कार्यों से दूरी की शिक्षा दी जाती है लेकिन जब इसी विभाग को सम्भालने वाले मण्डल स्तरीय अधिकारियों को नौकरी देने में धोखाधड़ी और जीपीएफ के पैसे में हेरा-फेरी करने का मुकदमा दर्ज हो तो एक बड़ा सवाल उठता है कि शिक्षा जैसे स्वच्छ विभाग के जिम्मेदारों के आचरण समाज को क्या सीख दे रहे हैं। बात करें आजमगढ़ मण्डल में तैनात संयुक्त शिक्षा निदेशक दिनेश सिंह और आजमगढ़ जनपद में बीएसए के साथ-साथ डीआईओएस पद पर कार्य कर चुके वर्तमान में एडी बेसिक आजमगढ़ मण्डल मनोज कुमार मिश्रा की तो एक पर आजमगढ़ में तो दूसरे पर अलीगढ़ में मुकदमा दर्ज हो चुका है। फिर भी दोनों अधिकारी अपने पद पर जमे हुए हैं। ज्ञात हो कि वर्तमान में एडी बेसिक आजमगढ़ मण्डल पद तैनात मनोज कुमार मिश्रा पर सिधारी थाने में श्री परमा देवी जायसवाल सरदहा में पांच शिक्षिकाओं के नियुक्ति मामले में कागजातों में हेरा-फेरी करने का तो वर्तमान में संयुक्त शिक्षा निदेशक पद कार्यरत दिनेश कुमार सिंह पर अलीगढ़ में बीएसए पद पर तैनाती के दौरान शिक्षकों के सामान्य भविष्य निधि में पांच करोड़ के घोटाले में वर्तमान में अलीगढ़ में बीएसए पद पर तैनात आजमगढ़ के कप्तानगंज थाना क्षेत्र के निवासी राकेश कुमार सिंह द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया है। आजमगढ़ के सिधारी थाने में मनोज मिश्रा सहित आठ पर तो अलीगढ़ में आजमगढ़ मण्डल के संयुक्त शिक्षा निदेशक दिनेश सिंह सहित 11 बीएसए और 61 अन्य पर दस वर्षों तक 520 शिक्षकों के जीपीएफ खाते से पांच करोड़ रूपए के हेरा-फेरी का मुकदमा दर्ज कराया गया है। (साभार)