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सांकेतिक तस्वीर |
अमरोहा। उप्र के अमरोहा जिले के हसनपुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में एक किसान की बहन की शादी के दौरान एक गंभीर घटना घटी, जब जिला प्रोबेशन अधिकारी और उनके कर्मचारियों ने रिश्वत की मांग करके उसकी शादी रुकवा दी. किसान ने बताया कि पांच मार्च 2025 को उसकी बहन की शादी थी और शादी की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. बरात आ चुकी थी, नाच-गाना चल रहा था और दुल्हन मंडप में बैठी थी. इसी दौरान कुछ लोग, जिनमें गजेंद्र, सुरभि, आदिल, कपिल, अशोक, मनोज, वीरू और अन्य एक अज्ञात व्यक्ति शामिल थे, दुल्हन को नाबालिग बताते हुए शादी रुकवाने की कोशिश करने लगे.
किसान ने इन लोगों को अपनी बहन के आधार कार्ड के आधार पर यह बताने की कोशिश की कि वह बालिग है, लेकिन इन लोगों ने धमकी दी और 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी. किसान ने रिश्वत देने से मना कर दिया, जिसके बाद इन अधिकारियों ने युवती को शादी के मंडप से उठाकर बिना बाल कल्याण समिति में पेश किए उसे वन स्टॉप सेंटर भेज दिया. हालांकि, बाद में युवती अपने परिजनों के साथ वापस घर लौट आई.
यह पूरा घटनाक्रम शादी के दिन अफरा-तफरी का कारण बना और बरात बिना दुल्हन के लौट गई. आरोप है कि इन अधिकारियों ने युवती का फर्जी आधार कार्ड बनवाकर किसान को जेल भेजने की धमकी दी, जिससे किसान का परिवार मानसिक रूप से परेशान हो गया और उसकी बहन भी इस घटनाक्रम से आहत हो गई. किसान ने इन अधिकारियों के खिलाफ शिकायत करने के लिए पुलिस से संपर्क किया, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उसने न्यायालय की शरण ली.
मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट ओमपाल सिंह ने इस मामले की प्रारंभिक जांच जरूरी समझी और मामले की जांच जिलाधिकारी (डीएम) को सौंप दी. डीएम को पांच मई तक जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने के लिए कहा गया है. इस मामले में आरोप है कि अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया और एक गरीब किसान के परिवार को मानसिक और सामाजिक रूप से नुकसान पहुंचाया. कोर्ट की जांच से उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा.